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आंटी की चुत चुदाई के ख्वाइस में कुत्ता बना – Aunty Ki Chut Chudai Ki Khwais Mein Kutta Bana

भाउज.कम पर आप सब मेरे प्यारे देवर और देवरानी आप सब जो अपनी अपनी लण्ड और चुत के साथ खेलते हुए ये कहानी पढ़ने जा रहे हे उन्हें मैं इतना बता दूँ की ये कहानी एक अलग सी औरत की कहानी जो खुदकी चुदाई के लिए छोड़ने वाले को पहले कुत्ता की तरह बना देता हे फिर छोड़ने को अपना चुत खुल देता हे …. तो कहानी सच मच क्या हे आप पढ़कर समझिये….
आंटी के घर के बरामदे को ही तो फांगना था उमेश को; फिर तो उसकी खेती थी. मोना आंटी की चूत को लिए हुए उसे भी एक जमाना हो गया था जैसे की. लेकिन थी तो वो पिछले बृहस्पतिवार की ही बात. मोना आंटी के साथ उसके सबंध अब कुछ 4 साल पुरे करने को हैं और आंटी उसे अपने गुलाम के तौर पे ही यूज़ करती हैं. दरअसल इस आंटी को बंधन वाले सेक्स में मजा आती हैं. वो उमेश के गले में पट्टा डालती हैं और उसे अपना कुत्ता बनाती हैं. और ना जाने ऐसे कितने ही खेल यह अनैतिक जोड़ा करते रहता हैं. उमेश यह सब करता हैं क्यूंकि ऐसा करने से उसे आंटी की चूत तो मिलती हैं.
आंटी ने उमेश को इशारा किया की वो सीधा घर में घुस जाए. उमेश अंदर घुसा अनर आंटी ने अंगडाई की एक्टिंग करते हुए इर्दगिर्द नजर घुमा ली. गर्मी की दोपहर में कोई अपनी गांड मराने बहार आएगा क्या. आंटी ने देखा कोई हैं नहीं इसलिए वो अंदर आ गई और उसने दरवाजा खिंच लिया. उमेश वही खड़ा था; जैसे की वो आंटी की राह देख रहा हो. आंटी दरवाजा बंध करते ही जैसे दूसरी आत्मा हो गई. उसने घूमके कहा, “अरे मादरचोद बड़ा भाव खाता हैं. बहन का लोडा जब चोदना होता था तो गांड घिसता था मेरी सीढियों पे और अब मुझे 10 फोन करवाता हैं.”
उमेश: नहीं आंटी जी हमारी बहन की गोद भराई की रस्म थी घर पे निकलना मुश्किल था. फिर भी देखें हम आप के सामने खड़े हैं.
आंटी: तो आया तो तू आंटी की चूत लेने ही हैं. कौन सा मेरे पाँव दबाएगा. चल जा अंदर के कमरे में अंकल की काली पेंट में चमड़े का पट्टा लटक रहा हैं वो ले के आजा. उमेश भागा और पट्टा खिंच के ले आया. आंटी ने पट्टा अपने हाथ में पकड़ा और उसे जोर से उमेश की गांड के ऊपर मार के बोली, “चल फट से कपडे उतार दे अपने. बहुत मन हुआ हैं तेरी गांड को लाल करने का.”
उमेश ने अपनी पतलून निकाली और वो खड़ा हो गया. आंटी ने पट्टे को हवा में चलाया और बोली, “जल्दी कर बे.” फिर उसने वही पट्टे को उमेश के गले में डाला और उसे जैसे की वो कुत्ता हो वैसे पहना डाला. उमेश नग्न था और उसके गले में पट्टा था. आंटी ने उसे अपनी तरफ खिंचा और बोली, “चल मेरे प्यारे कुत्ते मेरी चूत चाटनी हैं तुझे आज.”
इतना कह के उसने पट्टे को कुछ देर के लिए छोड़ा और अपने कपडे उतारने लगी. आंटी ने जैसे ही अपना ब्लाउज खोला उसके बड़े बड़े चुंचे बहार निकल आये. आंटी की सस्ती ब्रा उन चुंचो को संभालने के लिए काफी नहीं लग रही थी जैसे. उमेश के गले के पट्टे को वापिस खिंच के आंटी बोली, “चल आजा अपनी आंटी का दूध पी ले. जल्दी कर मेरे कुत्ते.”
उमेश ने अपनी जबान बहार निकाली और वो सीधे आंटी की चुंचियो को चाटने लगा. आंटी गले के पट्टे को बिच बिच में खिंच कर उमेश के गले के ऊपर प्रेशर बनाये हुए थी. उमेश ने अपने हाथो से आंटी के बड़े बड़े आम दबाये और वो अपनी जीभ को अभी भी निपल्स के ऊपर लगा के चाट रहा था. आंटी ने इस बिच अपने सभी वस्त्र उतार डाले. आंटी की चूत के ऊपर काफी बाल थे जैसे की उसने पैदा होने से आज तक कभी भी चूत की सफाई ही ना की हो. उमेश के गले के पट्टे को फिर से थोडा खिंच के आंटी बोली, “चल मेरे कुत्ते अब अपनी जबान से मेरी चूत को चाट. आज आंटी की चूत के साथ साथ तुझे उसकी गांड भी चाटनी हैं.”
उमेश आंटी के पाँव के पास आ गया. आंटी ने अपनी दोनों टांगो को फैला के चूत का दरवाजा जैसे उसके लिए खोल दिया. उमेश अपने घुटनों के ऊपर आ बैठा और उसने अपने शरीर को आगे की और झुकाया. उसकी जबान बालों के गुच्छे में जैसे की खो गई. बालों का गुच्छा था आंटी की चूत के उपर ऐसे रखा हुआ था जैसे की कबूतर ने किसी खंडर में अपना घोंसला बनाया हो. उमेश ने अपनी जबान को आंटी की चूत के ऊपर चलाना चालू कर दिया. मोना आंटी भी उमेश के चूसने से मस्तियाँ गई थी और वो हलके हलके आह आह कर के अपनी गांड को हिला रही थी. उमेश ने अपनी जबान को चूत के दाने के ऊपर रख दिया और वो लपलपाने लगा. मोना आंटी की चूत से रस टपकने लगा; वो रस जो चुदाई का आह्वान करता हैं लंड को की आ मैं तैयार हूँ तेरे झटको के लिए.
लेकिन मोना आंटी और उमेश दोनों अभी चोदन से ज्यादा चूसन में बीजी लग रहे थे. उमेश चूत के दाने को जोर जोर से चाट रहा था और बिच में उसके हाथ आंटी की चुंचियो को दबाने में भी व्यस्त हो जाते थे. उसका मुहं चूत में डूबा रहता था और वो चुंचो को हलके हलके दबा लेता था. आंटी की चुंचिया भी अकड गई थी और उसके निपल्स भी. मोना आंटी ने अपनी आँखे बंध रखे हुए ही उमेश के गले के पट्टे का छोर खिंचा. उमेश का मुहं चूत से दूर हो गया और वो सीधा खड़ा हो गया. उसकी आँखे जैसे आंटी को कह रही थी की हुक्म मेरे आका.
और दुसरे ही पल सच में आंटी के मुहं से हुक्म निकला भी. आंटी ने उमेश को कहा, “अब मैं उलटी हो जाती हूँ. मेरी गांड के छेद को चाट देना और चूत में ऊँगली डाल के मजे देना मुझे.”
मोना आंटी ने अपना भारी शरीर उलटाया और उसकी बड़ी गांड का काला छेद उमेश की नजरों के सामने था. उमेश वापस निचे बैठ गया और उसने आंटी की गांड के ऊपर अपना मुहं लगाया. पता नहीं क्यूँ लेकिन आंटी की गांड से आ रही बदबू भी उस वक्त उमेश को उत्तेजित करने का काम कर रही थी. उसने छेद के चारोतरफ चाट के उसे बिलकुल साफ़ कर दिया और फिर धीरे से छेद के अंदर अपनी जबान डालना चालू किया. मोना आंटी ने अपने कूल्हों को दोनों हाथो से फाड़ा और उमेश की जबान के लिए और जगह बना दी. उमेश ने अपना जबान के टोपे को गांड के छेद में घुसाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नाकाम ही रहा. मोना आंटी भी यह समझती ही थी की उसकी गांड का छेद इतना ढीला तो हैं नहीं की उसका कुत्ता उमेश उसमे जबान दे सके. उमेश ने गांड चाटते हुए अपनी ऊँगली को आंटी की चूत में डाला और उसे सहलाने लगा. मोना आंटी को चूत में ऊँगली देते ही जैसे उसकी साँसे एकदम से बढ़ने लगी और वो आह आह करते हुए अपने कूल्हों को और भी जोर से हिलाने लगी. उमेश भी पक्का खिलाडी था आंटी चुदाई का, उसने आंटी की चूत में पहले एक और फिर दूसरी ऊँगली भी पेल डाली.
उमेश ने आंटी को चूत में मजे देना चालू रखा और वो अभी भी अपने गले में पट्टा पहने हुए ही था. मोना आंटी से अब बर्दास्त नहीं हुआ. उसकी चूत अब बेताबी से लंड की खुराक जो मांग रही थी. उसने उमेश के बालों को पकड़ के उसे अपनी गांड से दूर किया. उमेश की ऊँगली चूत से निकली जिसके ऊपर ढेर सारी चिकनाहट लगी हुई थी. उमेश अब जैसे नेक्स्ट आर्डर की राह देख रहा था. इसबार आंटी मुहं से कुछ नहीं बोली, उसने सिर्फ सीधे हो के अपनी टांगो को फैला डाला. उमेश ने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ा और सुपाड़े के ऊपर थूंक लगाने लगा. मोना आंटी की चूत बालो से भरी थी; जिसे आंटी ने अपने हाथो से खोला. काले काले बालों के बिच चूत का छेद अपना लाल रंग दिखा रहा था. उमेश ने अपने थूंक से लदे हुए लंड को सीधे चूत के छेद पे रख दिया और के झटका लगा दिया. उमेश का लंड आधे से ज्यादा आंटी की चूत में घुस गया. मोना आंटी ने उमेश के पट्टे को हाथ में लिया और उसे खींचने लगी. उमेश ने अपने लंड की ट्रेन की चूत में सफ़र चालू कर दी. उसकी गांड अपने आप आगे पीछे हो के आंटी को चुदाई का कार्यक्रम फुल जोश में चालू कर डाला.
मोना आंटी को भी उमेश के जवान लंड से चुदने में कुछ और ही मजा आता था. वो भी अपनी गांड को उठा उठा के चूत मरवाने लगी. उमेश के मुहं से आह आह ओह ओह निकल रहा था और ऐसी ही आवाज आंटी की मुहं से भी बहार आ रही थी.
मोना आंटी: मार बेन्चोद अपनी आंटी की चूत को मस्त मार ले. और जोर से चोद, अपने लंड को चूत में ठोक और अपने गोलों को मेरी गांड से लड़ा दे. बड़े मजे देता हैं अपनी इस आंटी को..आह आह आह ओह ओह.
उमेश ये सुन के और भी उत्तेजित हो गया और उसकी चुदाई की रफ़्तार और भी बढ़ने लगी. वो आंटी को ठोकते ठोकते उसके चुंचो को चूसने लगा. मोना आंटी ने उसके गले के पट्टे को खिंच के उसे और भी करीब लिया. उमेश अपनी जांघो का सारा प्रेशर आंटी की चूत को दे रहा था. आंटी की चूत से भी अब सफ़ेद झाग निकलने लगा था और उमेश को पसीने की लकीर मस्तक पे आने लगी थी. आह आह कर के दोनों ही निढाल होने को थे.
उमेश ने 1 मिनिट और झटके दिए और उसका लंड अपना पानी आंटी की चूत में ही छोड़ बैठा. आंटी ने उसे अपने गले से कस के लगा लिया और चूत के स्नायु खिंच लिए. उमेश के लंड की रस की एक एक बूंद मोना आंटी के भोसड़े ने अपने अंदर ले ली. आंटी ने उमेश के गले से पट्टा निकाला और बोली, “उमेश आज तू आया ही हैं तो फिर पीछे भी लंड दे के ही जाना मुझे. मुझे तुझ से दोनों छेदों में चुदना अच्छा लगता हैं. मैं पहले तेरे लिए चाय बना लाती हूँ.”
उमेश वही लेट के चाय के आने की राह देखने लगा. आंटी की चूत में लंड देने के बाद उसे आंटी की गांड मारने का सौभाग्य भी प्राप्त होना था…

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