भाउज की गन्दी चुदाई भरी कहानी की दुनियां में आज फिर एक नयी कहानी हे कहानी लेखक और उनकी बुआ की हे लेखक जो की अपनी उम्र से काफी बड़ी अपनी बुआ के जिस्म से फिदा होकर उससे चुदाई कर लेते हैं | ये कहानी पढ़िए कहानी केसी लगी हमें बताइये…..
दोस्तों, मेरा नाम राज है और मैं इन्दौर का रहने वाला हूँ। ये मेरी और मेरी विधवा बुआ के बीच हुई एक रंगीन घटना का बयान है जिसके बाद मेरे जीवन में से चूत की प्यास बुझ गई!
अब मैं अपनी बात पर आता हूँ कि कैसे मेने अपनी बुआ को पटा कर उनका गेम बजाया!
बुआ जी की शादी उस समय हुई जब मेरी उम्र 14 साल थी। मैं उनको बचपन से ही पसन्द करता था।
बुआ जी की शादी भी बड़ी धूम धाम से हुई। पर शादी के कुछ ही महीनो के बाद बुआ विधवा हो गई! फिर बुआ को मेरे दादाजी अपने घर पर वापस ले कर आ गये।
बुआ की लंबाई 5 फुट 3 इंच है। एकदम दूध सा सफेद रंग। होंठ तो गुलाब की पंखुड़ियो की तरह है कि देखते ही खा जाने का मन करता है। उपर से उनके गालो पर बनने वाला डिंपल और ही जानलेवा है।
उनके चूचे इतने बड़े हैं कि किसी के भी एक हथेली में आ ही नही सकते! इसी तरह उनके चूत और चूतड़ को देख कर तो हिजड़े व सोचेगे कि काश हमारे पास भी लंड होता तो इस काम की देवी का रस लेते। फिर मर्द, बुढ्ढे या जवान लड़कों की हालत तो आप अंदाज़ा लगा ही सकते हो!
कुल मिलकर कहे तो उनका साइज़ 36-32-36 ही होगा!
जब भी बुआ मेरे घर पर आती तो मुझसे बहुत प्यार से बात करती थी। हम सबको इस तरह दिखाती थी की उन्हे कोई दुख नही है। पर हम सब जानते थे कि उन्हे अंदर ही अंदर कितना दुख है अपने अकेलेपन का। उनके इस अकेलेपन से मुझे नफ़रत होने लगी और मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैं अपनी ही बुआ से प्यार कर बैठा।
शुरुआत मे तो मे उनसे सिर्फ़ प्यार ही करता था और कुछ नहीं। पर दिन एसा आया कि मेरी जिंदगी ही बदल गई!
एक बार मैं अपने दादाजी के पास रहने गॉव रहने गया। मुझे वहाँ देखकर सब खुश हुए। रात को खाना खाने के बाद मे जल्दी सोने के लिए चला गया। रास्ते का सफ़र तय करने से हुयी थकावट के कारण मुझे जल्दी नींद आ गई।
रात मे जब मेरी आँख खुली तो मैं पेशाब करने के लिए निकला। मुझे लगा कि बुआजी के कमरे से आवाजें आ रही हैं। तब मैंने खिड़की से अंदर देखा।
मेरी तो आँखे फटी की फटी रह गई!
बुआ अंदर नंगी बिस्तर पर लेटी हुई थी और अपनी चूत और अपने बूब्स को खुद ही दबा और मसल रही थीं। उनके मुंह से कुछ अजीब सी आवाज़ें निकाल रही थीं। फिर उन्होंने बगल में तैयार रखी मूली उठा के अपनी चूत में डाल कर अंदर-बाहर करना शुरु कर दिया। मस्ती में वे ज़ोर ज़ोर से अपने पति से गालिया दे रही थी। ‘अरे मादरचोद तू तो चला गया, मुझे किसके सहारे छोड़ गया। मेरी चूत की इस आग को कौन बुझाएगा?’
मैं उन्हें पहली बार इस हालत मे देख कर दंग रह गया!
मैं उन्हें इस हालत मे देखने में इतना खो गया की ना जाने कब मेरा हाथ मेरे लंड पर चला गया और मैं मूठ मारने लगा! बुआ जी अपने मूली लॅंड महाराज से मज़े लेने में व्यस्त थी और इधर मैं अपने लॅंड महाराज को शांत करने मे लगा रहा।
कुछ देर के बाद बुआ जी के मूली लॅंड ने उनको शांत कर दिया और इधर मेरे लॅंड महाराज ने भी अपना गुस्सा ज़मीन पर थूक दिया।
मैं अपने कमरे में आकर बुआ जी के नंगे जिस्म को याद कर रहा था कि मेरे लॅंड महाराज फिर से बुआ की चूत लेने के लिए ताव मे आ गये और मुझे उन्हे फिर शांत करना पड़ा।
इसी तरह तीन दिन गांव में बुआ जी के साथ रह कर उनके अंगो के खूब दर्शन किए। लेकिन लॅंड महाराज अब सिर्फ दर्शन से कहाँ मानने वाले थे। उन्हें तो अपनी चूतरानी से मिलने की बेताबी लग गयी थी।
मैंने गांव में भी बुआ को लपेटे में लेने की कोशिशें तो कीं लेकिन वहां कुछ काम ना बन सका। चौथे दिन मैं वापस अपने शहर इन्रदौर आ गया।
मैं अपने साथ बुआ जी का नंबर लाया था। अब तो मैं रोज उनसे बात करता। धीरे-धीरे बातें यहाँ तक होने लगी कि सेक्स का नाम भी आने लगा। अक्सर थोड़ा ज्यादा हंसी मज़ाक की बातें हो जाती।
कुछ हफ्ते बाद ही मेरा जन्मदिन आया और हमने अपने सभी रिश्तेदारो को बुलाया। उनमे से मुझे और मेरे लॅंड महाराज को केवल एक ही का इंतजार था। वो थी मेरी बुआ जी! शाम को जब सभी लोग आ चुके तो मैंने बेचैनी से गौर किया कि उनमें बुआ नहीं थी।
लेकिन खुश किस्मती से कोई आधे घंटे में ही एक खूबसूरत सी अप्सरा मेरे सामने आ कर के खड़ी थी। वो मेरी जान बुआ थी जो काली साड़ी मे कातिल लग रही थी। उन्हें इस काम की देवी के रूप मे देख कर मेरे लॅंड महाराज भी उनकी वंदना करने लगें।
मैंने उसी समय सोच लिया कि आज की रात खाली नहीं जाने दूंगा। अपने लॅंड महाराज को उनकी चूतरानी से मिला कर ही चेन की सांस लूँगा।
रात के कोई 11 बजे तक सभी लोग चले गये। फिर हमारे सोने की इस प्रकार व्यवस्था हुई कि मम्मी और पापा तो अपने कमरे में चले गये और मैं और बुआ जी आपस में बातें करने के लिए मेरे कमरे में आ गये! कुछ सोच कर मैंने दरवाजा खुला और लाइट जलती छोड़ दिया।
ह्म दोनों सोफे पर एक साथ बैठे हुए थे। तभी मैंने एक शरारत की।
मैंने उनका हाथ पकड़ कर कहा कि बुआ आज तो आप कातिल लग रही हो। सचमुच आज मुझे दुनिया में आपसे ज्यादा सुन्दर कोई नहीं लग रहा है। आपके होंठ इतने प्यारे लग रहें हैं कि मन करता है चूम लूँ।आपको प्यार कर लू! काश मैं आपका भतीजा ना होकर आपका पति होता तो मैं आज आपको सारी रात प्यार करके अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब बंदा समझता। पर क्या करुं मैं कुछ नहीं कर सकता!
मैंने देखा कि बुआ की आँखो से आँसू निकल पड़े हैं। मैंने पूछा कि क्या हुआ बुआ? आप रो क्यू रही हैं?
उन्होंने कहा कि अगर तू मुझ से प्यार करके खुशनसीब होता तो मैं आज किसी के प्यार पाने के लिए तरसती नहीं!
ये बोल कर बुआ और भी ज़ोर से रोने लगी। मैंने उन्हे अपने आगोश में लेकर उन्हे शांत करने की कोशिश करने लगा। पर वो और भी ज़ोर से रोने लगी। मुझसे बर्दाश्त ना हुआ उनका ये दर्द!
मैंने उनसे कहा कि मैं आपसे प्यार से बहुत प्यार करता हूँ और मैं उनके गालों और होंठों को चूमने लगा! इस पर उन्होने मुझे धकका देकर दूर कर दिया और कहने लगी कि ये तुम क्या कर रहे हो! तुम्हें शर्म नहीं आती अपनी बुआ से ऐसी हरकत करते हुए?
मैंने उनसे कहा कि बुआ मैं आपसे सच में बहुत प्यार करता हूँ और आज से नहीं बल्कि जबसे आप अकेली हुई है तब से। मैं नही जानता कि मेरे में इतनी हिम्मत कहाँ से आई है लेकिन आपसे सच बोल रहा हूँ और अगर आप मुझे नहीं मिली तो मैं आपकी कसम से बोलता हूँ मैं मर जाउंगा।
मैं रोने लगा! तभी पता नहीं बुआ जी को क्या हुआ। वो मेरे पास आकर के मेरे होठो पर किस करने लगी। फिर तो मैं भी उनसे लिपट गया हम दोनो एक दूसरे के चुंबन में ऐसे खो गये कि दो जिस्म और एक जान।
दस मिनिट के प्यार भरे चुंबन से ही हम दोनो की आत्मा सुख का अनुभव महसूस कर रही थी। फिर जो हुआ उसका वर्णन शब्दो में नही किया जा सकता। एक ऐसा सुखद आनंद!
हम दोनो फिर से चुंबन करते हुए जाकर बिस्तर पर गिर पड़े। मैंने एक ही झटके में बुआ की साड़ी निकाल दी और उनके दोनो स्तानों पकड़ के ब्लाउज के उपर से ही उनका मर्दन करने लगा। बुआ तो एक प्यासी मछली की तरह बहक रही थी!
मैंने उनका ब्लाउज भी उतार कर फेंक दिया और देखा कि काली ब्रा में कैद दो बड़े-बड़े संतरे से चमक रहे हैं।
मैं तो उनपर भूखे शेर की भाती टुट पड़ा. बुआ ने भी मेरा साथ देते हुए मेरा सिर अपने स्तानो मे रगड़ना शुरु कर दिया और आह, उफ़, उम्म्म करने लगीं। अपने होंठ अपने दांतों से दबाने लगीं।
मैं उनके एक स्तन का तो पान कर रहा था ओर दूसरे का मर्दन। इससे बुआ की कामुक आवाज़ो की गति मे वृद्धि होने लगी। फिर मैंने मेरे एक हाथ से उनके पेटिकोट को उनके जिस्म से अलग कर दिया। मुझे उस प्यारी सी जनन्त के दीदार हुए जिसे लोग चूत, भोसड़ा, फुददी और न जाने किन-किन नामों से पूजते है। काम की देवी से उसके दर्शनो की कामना करते है।
आज वो जन्नत मेरे सामने था। मैंने समय ना गवाते हुए उसका अपने मुख से प्रसाद पाने की क्रिया मे लग गया। मैंने ज्यो ही बुआ की चूत को चाटना शुरू किया वेसे ही बुआ की सीत्कारे बढ़ने लगी। वो ज़ोर ज़ोर से कहने लगी- मादरचोद… बहन के लंड… चूस ले मेरी चूत।
वो जोश के कारण आ, ऊ, उ और न जाने कैसी-कैसी आवाजें निकाल रही थीं। मुझे गालियां भी रही थीं।
‘चाट साले, चाट और चाट। चाट-चाट कर इसका कचूमर बना दे!’
बुआ की इन रंगीन बातो से मेरा योनि चूसन और अधिक प्रभावी होता जा रहा था। कोई 20 मिनट उनके चूत को चाटने के बाद मुझे मेरी मेहनत का फल प्राप्त हुआ। बुआ सरासर पानी छोड़ने लगी। जिसे लोग योनि रस, काम रस आदि नाना प्रकार के शब्दों की पदवी देते हैं, मेरे मुंह में भरने लगीं। मैंने योनि रस की एक बून्द भी व्यर्थ नहीं जाने दिया।
अब बारी थी बुआ जी की। उन्होने मेरे कपड़ो को पलक झपकते मेरे से अलग कर दिया। फिर मेरे लिंग महाराज को भोगने को निकल पड़ी।
जब उन्होने मेरे लॅंड को अपने मुंह में तो मैं ना जाने किस दुनिया के किस आनंद की प्राप्ति करने लगा। उनको देख कर साफ़ लग रहा था कि वे लंड की चुसाई खूब करती रही हैं। कुछ देर बाद मेरे लॅंड महाराज ने भी बुआ को अपना प्रसाद दे ही दिया।
अब बुआ मुझसे बोली- जान अब बर्दास्त से बाहर है ये जलन! इसे बुझा दे और मेरी इस प्यारी सी चूत का भोसड़ा बना दे। मैंने भी देखा कि लोहा दोनो तरफ ही गरम है तो क्यू ना अब आत्ममिलन हो ही जाए। मैंने बुआ की कमर के नीचे तकिये को लगा कर उनके पैरो को अपने कंधो पर रख कर पेलना शुरु किया। जेसे ही लॅंड को चूत मे घुसाया लॅंड बार बार फिसल कर बाहर आ जाए। बुआ की चूत तो कुवारि ही जेसी थी। फिर मेने अपने जनमदिन के केक की क्रिम को हाथ की दो उंगली में लगा कर चूत में अंदर बाहर करने लगा जिससे चूत का मुंह थोडा खुल गया। फिर मैंने ढेर सारा क्रीम अपने लॅंड पर लगाके चूत मे घुसने लगा। लॅंड 2.5 इंच मोटा सुपाड़ा चूत में घुसते हुए बुआ को एक हसीन दर्द का अनुभव करा रहा था।
वह लगभग चिल्लाने लगी- फाड़ दी… माँ के लौड़े ने! मेरी चूत का भोंसड़ा बना दिया।
लेकिन मेरा लौड़ा तो अभी घुसना शुरू ही हुआ था। मैंने बुआ के होठों पर अपने होठ रख कर उन्हे चूमने लगा। फिर एक ज़ोरदार झटके अपना पूरा लंड पेल दिया।
अब मेरा पूरा 7 इंच लंबा लॅंड बुआ की चूत मे समा चुका था। मैं बुआ के रसीले होठो ओर स्तानो का चुंबन और मर्दन करता रहा। कुछ देर बाद बुआ सामान्य हुई और हमारा तूफ़ानी दौर शुरू हुआ!
मेने अपने लॅंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। अब बुआ भी नीचे से मेरा साथ दे रही थी! चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई करवाने लगीं ! बुआ ज़ोर ज़ोर से गालिया दे र्ही थी चोद साले चोद !!!! जितनी गाड मे दम है ना पूरी लगा कर चोद। मेरे राजा मेरी चूत का बजा दे बाजा। मिटा दे इसकी खुजली और बना दे इसका भोसड़ा!