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पड़ोसन पिया की चुत से पानी छुटा – Padosan Piya Ki Chut Se Pani Chuta

मदमस्त लुंड और चुत की कहानी के साथ आपकी भाभी अपनी सारे देवर की मनोरंजन के लिए हाज़िर हे तो रेडी हो जाये आपने आपने लुंड चुत को सज धज के चुदाई की मजा लेने के लिए ये चुदाई कहानी कैसे लगी वो भी हमें जरूर बतायेगा..

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम विजय है और में पुणे से हूँ, मेरी उम्र 20 साल है में भाउज का रेगुलर रीडर हूँ और मुझे भाउज की कहानियाँ बहुत पसंद भी है. में आपका ज्यादा समय ना लेते हुए अपनी कहानी शुरू करता हूँ.
भाभी का नाम चंद्रिका है और उनकी उम्र 31 साल है और फिगर 34-26-36 का होगा, वो शादीशुदा है, उसका पति सरकारी ऑफिसर है और उसके 2 बच्चे भी है अरनव (6 साल), आदि (2 साल) उसके पति हमेशा 6 महीने बाहर और 6 महीने घर पर रहते है. करीब 1 साल पहले की बात है जब हमारे घर के सामने एक अम्पार्टमेन्ट में दूसरे फ्लोर पर एक कपल रहने आया, उन्होंने 2 BHK फ्लेट लिया था, जिसकी वास्तु पूजा में हम सब पड़ोसीयों को बुलाया था.
नये पड़ोसी होने के कारण पूजा में ज्यादा लोग नहीं आये थे. उस समय मेरी और चंद्रिका और समीर (उसके पति) से पहचान हुई. में और समीर भैया जल्दी ही अच्छे दोस्त बन गये और मैंने उनसे कहा कि पूजा ख़त्म होने के बाद हम दोनों साथ ही खाना खायेंगे और सिगरेट पीने जायेंगे, वो भी जल्दी ही मान गये और सारे मेहमान चले गये और घरवालों ने भी खाना खाया, बस हम दोनों ही बचे थे.

फिर में और भैया हम दोनों ने सारी साफ सफाई पूरी की और खाना खाने घर में ही सोफे पर टी.वी के सामने बैठ गये. में थका था और लेट भी हो रहा था, इसलिए जल्दबाज़ी में खाना खा रहा था और मुझे अचानक हिचकी आई. मैंने भाभी से पानी माँगते हुए में सोफे से उठा भाभी ने पानी देने के लिए हाथ आगे किया, तभी ग़लती से मेरे हाथ से पानी थोड़ा उनकी चूचियों पर गिर गया, पानी ठंडा था इसलिए भाभी तुरंत पीछे हटी.
मैंने भाभी को सॉरी बोलते हुए अपने हाथ से ही उनके ब्लाउज के ऊपर से ही पानी पोंछने लगा, में जल्दबाज़ी में भूल गया कि भाभी का पल्लू पूरा नीचे गिरा है और में सॉरी के नाम पर उनका ब्लाउज साफ कर रहा था, भैया का ध्यान टी.वी पर ही था, इसलिए उन्हें पता नहीं चला.
फिर भाभी ने गुस्से से मेरा हाथ अपने ब्लाउज से हटाया और पल्लू सही करके अंदर चली गयी. जब मुझे ठीक से समझ आया कि मैंने क्या हरकत की है, तो मुझे डर लगने लगा कि कहीं वो भैया से या मेरे घरवालों से ये बात ना कह दे.

फिर खाना ख़ाकर में और भैया सिगरेट पीने गये, तो उन्होंने बोला कि वो 6 महीने के लिए इंडिया के बाहर जा रहे है कहीं ना कहीं ये बात मेरे चुदाई प्रोग्राम के लिए अच्छी थी. रात को जब में सोने लगा तो मुझे नींद नहीं आ रही थी और बार बार वही नज़ारा आँखों के सामने आ रहा था, जब में भाभी जी के चूचे ब्लाउज के ऊपर से साफ कर रहा था. पता नहीं क्यों मुझे ये अच्छा लगने लगा और मेरे मन में भाभी को चोदने की और खास बात उनकी चूचीयाँ चूसने की इच्छा पैदा हो गयी.
फिर दूसरे दिन में सुबह 9 बजे उठा और 10:30 बजे तक तैयार होकर मैंने भैया को फोन किया. उन्होंने मुझे बातें करने के लिए अपने घर बुलाया, में बहुत खुश हुआ और उनके घर पर गया और बेल बजाई, तो दरवाजा मेरी चूत की मल्लिका चंद्रिका ने खोला, दरवाजा खुलते ही स्माइल के साथ मेरी नज़र भाभी की छाती पर गयी.
आज उन्होंने ब्राउन ब्लाउज और उसी कलर की साड़ी पहनी थी. मेरी गंदी नज़र ने उन्हें पूरे 2 मिनट तक देखा, वो भी मुझे देखती रही. फिर अचानक भैया ने आवाज़ लगाई कि विजय आया है क्या? उसे अंदर बुलाओ. मैंने मन में सोचा कि हाँ “बुला ले अपने बीवी के आशिक़ को, अब अगले 6 महीने तक में ही इसका पति हूँ. में और भैया पैकिंग करते हुए ज़मीन पर ही बैठे थे, तभी चंद्रिका कॉफी ले कर आई, हम नीचे बैठे थे, तो वो कॉफी देने के लिए नीचे झुकी और उसका पल्लू गिर गया और एक बार फिर से मुझे जन्नत का नज़ारा देखने को मिल गया. इस बार तो मेरा छोटा लंड बड़ा बन गया और तड़पने लगा, भाभी ने मेरी गंदी नज़र को देखा और पल्लू उठा लिया.
फिर दोपहर 2 बजे हमने उनके ही घर पर खाना खाया और में उनको एयरपोर्ट पर छोड़कर अपने घर लौट आया. भैया ने मुझे जाते वक़्त बताया था कि कल भाभी को संजीवनी स्कूल में जाना है, उनके बड़े बेटे (अरनव, उम्र 6 साल) के एडमिशन के लिए. मुझे पता था कि चंद्रिका सिर्फ़ अरनव को ही ले कर जायेंगी और आदि जो उसका 2 साल का बेटा था उसे हमारे घर मम्मी के पास छोड़कर जायेंगी.

रात को सोने से पहने मैंने चंद्रिका के नाम की मुठ मारी और उसको चोदने के सपने देखने लगा. सुबह मेरे उठने से पहले चंद्रिका आदि को मेरी मम्मी के पास छोड़ कर चली गयी, मैंने आदि को अपने पास बुलाया और उसे चोकलेट का छोटा टुकड़ा हाथ में दिया, वो मेरे साथ 3 घंटे से था वो मुझसे काफ़ी घुल मिल गया और मुझसे लिपटा रहा. जब चंद्रिका वापस आई, तो आदि मेरे पास था वो मेरे कंधो पर ही सो गया था, जब में आदि को चंद्रिका के हाथों में देने लगा तो मैंने देखा कि मेरे गले की चैन आदि ने अपने हाथों में पकड़ी है, जिसे वो छोड़ने के लिए तैयार नहीं था और उस समय में उसे नींद से उठाना भी नहीं चाहता था.
फिर चंद्रिका बोली कि तुम मेरे साथ फ्लेट में चलो और वही बेड पर आदि को सुला देना. में मन ही मन खुशी से पागल हो रहा था और आदि को शुक्रिया बोल रहा था. जब में कमरे में गया और बेड पर आदि को सुलाने की कोशिश करने लगा, तो वो बेड पर उतर गया और रोने लगा, लेकिन अच्छी बात ये थी कि वो अभी भी मेरी चैन छोड़ने को तैयार नहीं था और वो चैन भी ऐसी थी कि गले से सीधा नहीं निकल सकती थी.
फिर आदि का रोना सुन कर चंद्रिका रूम में आई, तो उसने देखा कि में बेड पर लेटा हूँ और आदि मेरे साथ ही लेट कर रो रहा था. तभी चंद्रिका बोली कि शायद आदि को भूख लगी है, अरनव बाहर खेलने गया है, तब तक में आदि को दूध पिला देती हूँ. तो मैंने बोला कि वो चैन नहीं छोड़ रहा है, तो उसने कहा कि कोई बात नहीं में उसे दूध पिला देती हूँ, वो सो जायेगा और चैन भी छोड़ देगा.

फिर क्या था? वो साथ में आकर लेट गयी और उसे अपने सीने से लगाकर अपनी दाई चूची से दूध पिलाने लगी और ऊपर से पल्लू ओढ़ लिया, लेकिन मेरी नज़र से ये सारा हसीन नज़ारा छुप नहीं पा रहा था. उसके चूचे चूसता हुआ आदि का मुँह मुझे साफ दिख रहा था. चंद्रिका को शर्म आ रही थी, लेकिन उसकी मजबूरी थी.
फिर आख़िर दूध के चक्कर में आदि ने चैन छोड़ दी और दूध पीने में व्यस्त हो गया. में फिर भी बेशर्म की तरह वहीं लेटकर वो नज़ारा देख रहा था. आख़िर में आदि सो गया और चंद्रिका रूम से बाहर जाने लगी, तभी मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी और खींचा और उसे लिप पर किस करने लगा. उसने विरोध किया और मुझे ज़ोर से धक्का मारा और वो रूम से बाहर आ गयी. में डर गया था कि अगर इसने चिल्लाना शुरू कर दिया तो पूरी सोसाइटी जमा हो जायेगी, तो में उसके पीछे दौड़ा और उसे पकड़ लिया.
फिर उसे दीवार से लगाकर लिप पर किस करने लगा, वो हाथ पैर हिला रही थी और मुझे झपट रही थी, लेकिन में कहाँ रुकने वाला था. मेरे सिर पर तो चुदाई का भूत सवार हो गया था. वो बोलने लगी ये ग़लत है, तुम मेरे भाई की उम्र के हो, अगर समीर को पता चल गया तो खैर नहीं, प्लीज मुझे छोड़ दो, मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.
में बोला तुम एक हसीन औरत हो में तुम्हें समीर से भी ज्यादा प्यार दूँगा और हमारा प्यार सीक्रेट रहेगा. में कभी तुम्हें नाराज़ नहीं करूँगा, क्या मुझमें कोई कमी है? लेकिन वो साली नहीं मान रही थी. में फिर भी ज़बरदस्ती करता रहा, आख़िर 5 मिनट के बाद वो शांत हो गयी और मेरा साथ देने लगी, मुझे समझ में आ गया कि ये मेरे लिए ग्रीन सिग्नल है. फिर मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और दूसरे रूम में बेड पर लेटा दिया. फिर मैंने अपना शर्ट और पेंट एक साथ ही ऊतार दिया, क्योंकि में बहुत गर्म हो चुका था. मैंने उसे साड़ी निकालने को कहा, तो उसने निकाल दी, अब वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्लाउज और सफ़ेद पेंटी में थी.
फिर में उसके ऊपर आ गया और उसके चेहरे को चूमने लगा और ब्लाउज के सारे हुक खोल दिए. फिर उसे थोड़ा उठा कर मैंने ब्लाउज निकालकर फेंक दिया और उसकी ब्रा नीचे कर दी. में अब उसके मदमस्त रसीले चूचे अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दातों से काटने लगा, वो सिसकारियां भरने लगी, आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्हह्ह विजय, प्लीज छोड़ दो, अहह ओह.
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chu fadkar ras nikala

उसकी आवाज़ से मुझे और नशा चढ़ रहा था और चूचे चूसते हुए मैंने अपना एक हाथ उसकी पेंटी के अंदर डाल दिया, तो उसकी झाटों वाली रसीली चूत पानी-पानी हो गयी थी. उसकी गंध रूम में फैल गयी थी. फिर में अपनी उंगलियां चूत में डालकर ज़ोर जोर से हिलाने लगा. उसका दर्द बड़ रहा था, वो सिसकियां ले रही थी, आआह्ह्ह्ह् उहह यहहईईहह और मेरे मुँह में उसकी चूची और मेरी उंगलियां उसकी चूत में थी, में स्वर्ग में पहुँच गया था. फिर मैंने अपना मुँह नीचे लाकर उसकी नाभि और पेट को चूमने लगा और हल्के से उसकी पेंटी ऊतार दी, उसकी चूत को देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया.
फिर में अपना मुँह उसकी चूत पर रखकर उसे चूसने लगा और हाथों से उसके बूब्स ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. फिर 10 मिनट के बाद में समझ गया कि वो इससे बोर हो रही है, तो मैंने अपनी अंडरवियर ऊतार दी और लंड को उसकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा. वो हवस के नशे में मुझसे लिपटने लगी. मैंने पहले ही जोरदार झटके से आधा लंड अंदर डाल दिया और फिर हल्के-हल्के अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया. अब वो चिल्लाने लगी, क्योंकि उसे इतने बड़े लंड की और तेज झटको की आदत नहीं थी.
15 मिनट के बाद में झड़ने वाला था, तो मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी और अपना सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया. में काफ़ी थक गया था और वो भी पूरी तरह से झड़ गयी थी. फिर में उसके ऊपर ही लेटा रहा, फिर 15 मिनट के बाद घंटी बजी और हम दोनों हड़बड़ा गये. हम अलग हुए और कपड़े पहन लिए, में जल्दी जा कर सोफे पर टी.वी चालू करके बैठ गया. फिर चंद्रिका ने दरवाजा खोला, तो कोरियर वाला थाजज फिर उसने कॉफ़ी बनाई और अरनव भी खेल-कूद कर वापस आ गया और में भी अपने घर चला आया और उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता है हम चुदाई का पूरा आंनद लेते है.

पोषक : विजय


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