रेग्युलर रीडर हूँ और मुझे माँ, दीदी और मौसी की सेक्सी कहानियाँ पढ़ने का बहुत शौक है.. क्योंकि मुझे भी अपने घर के सदस्यों को चोदने का मन करता है और फिर एक दिन मैंने भी सोचा कि यह दास्तां में आपको सुनाऊँ। में आपको अपनी फेमिली से मिलवाता हूँ.. घर में हम गिनती के 4 लोग रहते है। में विक्की 18 साल, मेरी माँ रेखा 38 साल, मेरी मौसी ललिता 40 साल और मेरी छोटी बहन पदमा 15 साल। सबसे पहले में अपनी माँ के बारे में बताता हूँ.. मैंने जैसा कहा कि उनकी उम्र 38 साल है..
लेकिन उन्होंने खुद के शरीर को इतना सम्भालकर रखा है कि वो 30 या 32 साल से ज़्यादा की नहीं लगती है.. उनका फिगर 36-38-36 है। वो थोड़ी सी मोटी है.. लेकिन जब वो चलती है तब उनके कुल्हे बहुत उछलते है और उनको देखकर सब लड़के पानी पानी हो जाते है.. मेरी मौसी भी उनसे ज़रा सी मोटी है.. वो दोनों साड़ी पहनती है। मेरी मौसी कि शादी हुए 15 साल हो गये है और उनकी कोई औलाद नहीं है।
दोस्तों यह 4 साल पहले की बात है.. मेरे पापा और मौसी के पति एक शादी में शामिल होने के लिए बस से पूना जा रहे थे। तभी बीच रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया और दोनों की मौत हो गयी.. मौसी के ससुराल में कोई नहीं था। इसलिए माँ ने उन्हें अपने घर बुला लिया और वो यहीं पर हमारे साथ रहने लगी। फिर मेरी माँ ने कपड़े सिलने का काम करके हमारी पढ़ाई जारी रखी और मौसी बाहर एक ऑफिस में काम करने जाती है। हमारा घर छोटा सा है और हम एक फ्लेट में रहते है.. उसमे एक हॉल, एक बेडरूम, किचन और टॉयलेट है। हम सब हॉल में सोते है। पहले मेरी माँ और फिर मेरी बहन पदमा, उसके बाद मौसी और फिर में सोता हूँ।
दोस्तों यह कहानी आज से एक साल पहले की है.. जब में ग्यारहवीं क्लास में पढ़ता था। मुझे तब सेक्स की इतनी जानकारी भी नहीं थी। फिर भी किसी भी औरत को देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता था। कॉलेज में मेरे सभी दोस्त सेक्स की बातें किया करते थे.. तो वो सुनकर मुझे बहुत मज़ा आता था। उसमें मेरा एक राकेश नाम का दोस्त था और उसने एक विधवा आंटी को पटा रखा था.. वो हमसे उसकी बातें किया करता था.. कि उसने कैसे उसको चोदा और भी बहुत कुछ। वो कहता था.. कि जो मज़ा किसी औरत को चोदने में है.. वो किसी वर्जिन लड़की को चोदने में भी नहीं है.. वो बताता था कि चाहे वो कोई भी औरत हो। अगर उसने कभी लंड का स्वाद चखा हो.. तो वो ज़्यादा दिन बिना चुदाई किए नहीं रह सकती। तो में सोचता था कि मेरी माँ और मौसी को भी अपनी चुदाई का ख्याल जरुर आता होगा? तो एक दिन की बात है.. में कॉलेज से घर आया तो मैंने देखा कि दरवाजा अंदर से बंद है और मैंने एक बार डोरबेल बजाई.. लेकिन दरवाजा नहीं खुला.. मैंने सोचा कि अंदर सब सो रह होंगे।
मेरे पास घर की दूसरी चाबी थी और फिर मैंने दरवाजा खोला तो हॉल में कोई नहीं था। फिर मैंने सुना कि बेडरूम से कुछ आवाज़ आ रही है और फिर में दरवाजे की तरफ बढ़ा दरवाजा खुला था। मैंने दरवाजा खोला और जो सीन मैंने देखा में तो बिल्कुल ठंडा पड़ गया.. अंदर मौसी नंगी लेटी थी और वो अपने दोनों पैर फैलाकर मोमबत्ती को अपनी चूत में आगे पीछे कर रही थी और फिर उन्होंने मुझे देख लिया और वो शाल से खुद को ढकने लगी। तो मैं तुरंत वहाँ से चला गया और तब से मुझे मौसी को चोदने की तमन्ना जाग उठी। उस दिन के बाद से मौसी मुझसे नज़रे नहीं मिला रही थी और एक रात को में करीब रात को 12:30 पेशाब के लिए उठा.. फिर मैंने पेशाब किया और जब लौटा तो देखा कि मौसी की साड़ी घुटने से ऊपर उठी हुई थी और उनकी गोरी जांघे साफ साफ दिख रही थी और यह देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया और फिर मैं उनकी जांघे छूने लगा। तो उन्होंने कुछ हलचल की तो मैंने हाथ हटा लिया और में चुपचाप बैठ गया।
थोड़ी देर बाद में उनकी जांघो को छूकर मुठ मारने लगा और मेरा थोड़ा सा पानी उनके कपड़ो पर गिर गया और फिर मुठ मारने के बाद में सो गया। फिर जब में दूसरे दिन उठा तो मौसी मेरी तरफ गुस्से से देख रही थी और फिर माँ से कुछ कह रही थी। मेरी तो गांड ही फट गयी और वो दोनों मेरी तरफ देखती रही और में उन दोनों को अनदेखा करके फटाफट तैयार हो गया और नाश्ता करके बाहर घूमने चला गया। फिर रात को हमने साथ में खाना खाया और सो गये.. रात को मेरे दिमाग़ में कल वाला सीन आ गया और में उठ गया.. तब शायद रात के एक बज रहे होंगे और मैंने मौसी को देखा जो मेरे पास में लेटी थी। तो उनकी साड़ी जांघो से भी ऊपर जा चुकी थी और मैंने आज ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए.. में आज उनकी चूत छूकर ही रहूँगा। तो मैंने उनकी साड़ी को कमर तक ऊपर कर दिया और फिर मैंने देखा कि उन्होंने अंदर कुछ नहीं पहना हुआ था। यह सब देखकर मुझे 440 वॉल्ट का झटका लगा.. मेरा लंड खड़ा होकर सलामी देने लगा.. में पागल हो गया और मैंने धीरे से उनकी चूत को छू लिया उनकी तरफ से कोई विरोध नहीं था.. तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
फिर में उनकी चूत को धीरे धीरे सहलाने लगा और फिर भी कोई हरकत नहीं हुई तो मैंने अपने कपड़े उतारे और नंगा होकर उनके पास में लेट गया। मेरा लंड करीब 9 इंच बड़ा था और में धीरे धीरे उनके बूब्स भी दबाने लगा.. फिर भी कुछ नहीं हुआ तो मेरा जोश और डबल हो गया। मौसी मेरी तरफ पीठ करके लेटी हुई थी। में मेरे लंड से उनकी गांड को ऊपर से रगड़ने लगा। तभी उन्होंने अपने पैर सिकोड़ लिए और में बहुत डर गया। फिर में थोड़ी देर रुका और उसके बाद मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उनकी चूत पर रखा और धीरे से दबाने लगा। मेरा लंड लगभग आधा लंड उनकी चूत में चला गया और फिर उन्होंने उनकी गांड मेरी तरफ धकेल दी.. तो इसकी वजह से पूरा लंड उनकी चूत में चला गया। में नहीं जानता था कि उन्होंने नींद में ऐसा किया या जानबूझ कर। उनके मुँह से उफ्फ्फ अह्ह्ह की सिस्कारियां निकली तो में डर गया और लंड को तुरंत बाहर निकाल लिया।
तभी उन्होंने तुरंत मेरे लंड को पकड़ लिया और धीरे से कहा कि जब अंदर घुसा दिया है तो बाहर क्यों निकाला? में अब बहुत खुश हो गया और मैंने उनसे सीधा लेटने के लिए कहा और वो सीधी लेट गयी। उन्होंने कहा कि पहले लाईट बंद कर लो। तो में लाईट बंद करके वापस आया में उनके ऊपर आ गया और उनको एक किस किया और में अपना लंड उनकी चूत पर सेट करने लगा। लेकिन मुझे उनकी चूत का छेद नहीं मिल रहा था। फिर मौसी ने खुद अपने हाथों से लंड पकड़ा और चूत पर सेट किया.. फिर क्या था। मैंने एक ज़ोर का झटका दिया और उनके मुहं से ज़ोर से आवाज़ निकली आहह माँ मर गई। मेरा पूरा लंड एक ही बार में अंदर घुस गया था इसलिए उनको इतनी तकलीफ हो रही थी। तभी आवाज़ की वजह से शायद माँ जाग गयी और पूछने लगी कि क्या हुआ? लेकिन अंधेरे में उन्हे कुछ दिखाई नहीं दिया और मौसी ने कहा कि कुछ नहीं हुआ.. वो मेरे हाथ को अंधेरे में कुछ लग गया। तो माँ ने कहा कि ठीक है सो जाओ। फिर थोड़ी देर में रुका रहा और फिर मौसी ने कहा कि धीरे धीरे कर हरामी.. तो मैंने सॉरी कहा और लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा.. अब उनको भी शायद मज़ा आ रहा था और वो भी गांड उछाल उछाल कर मेरा साथ देने लगी। हमारी चुदाई से पच पच की आवाजें आ रही थी और मौसी बीच बीच में अह्ह्ह ओह्ह्ह उफफफ्फ़ की आवाजें निकाल रही थी। हम दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे। मौसी ज़ोर ज़ोर से सांसे ले रही थी। फिर हमारी चुदाई लगभग 20 मिनट तक चली और फिर हम लोग शांत हो गये और फिर सो गये।
दूसरे दिन में थोड़ा देर से उठा और मैंने सुना कि माँ और मौसी कुछ बातें कर रही थी.. माँ कुछ गुस्से में लग रही थी। तो मैंने सोचा कि कल रात वाली बात कहीं माँ को पता तो नहीं चल गई। फिर में बाहर चला गया और ऐसे ही दिन गुजर गया। तो रात को मैंने 12:45 बजे मौसी को उठाया और कहा कि चलो हम फिर से चुदाई करते है। तो वो कहने लगी कि नहीं माँ जाग जाएगी.. लेकिन में नहीं माना तो मौसी ने कहा कि ठीक है और मैंने कहा कि में आपकी चूत चाटना चाहता हूँ तो उन्होंने कहा कि ठीक है.. लेकिन में भी तुम्हारा लंड चूसूंगी। तो मैंने उनके कपड़े उतार दिए और मैंने लाईट में उनका बदन देखा क्या बदन था उनका? सुंदर फूल के जैसी उनकी चूत और आम के जैसे उनके बड़े बड़े बूब्स थे और हम 69 की पोजिशन में आ गये।
फिर मैंने उनकी चूत चाटनी शुरू कर दी.. उनकी चूत से कुछ सफेद पानी जैसा बाहर आ रहा था और मैंने उनकी चूत पर जैसे ही मुहं रखा वो उछल पड़ी.. लेकिन मेरा लंड उन्होंने बाहर नहीं निकाला 5 मिनट के बाद में उनके ऊपर आ गया और उनके बूब्स दबाने लगा.. वो मुहं से अह्ह्ह की आवाज़े निकालने लगी। फिर में उनके ऊपर आ गया और मौसी की चूत के ऊपर लंड रखा और एक ज़ोर का झटका दिया.. उनके मुहं से चीख निकल गयी आआहह। शायद उस आवाज से माँ उठ गयी.. लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। फिर में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा तो मौसी तरह तरह की आवाज़े निकालने लगी ईईई ऊऊग़गग उफ़फ्फ़ और में जोश में आ गया और मैंने अपनी रफ़्तार बड़ा दी.. मेरा लंड बहुत बड़ा था तो उनको बहुत तकलीफ़ होने लगी और वो चिल्लाने लगी क्या कर रहा है? थोड़ा धीरे कर ना आहह मर गयी। लगभग 30 मिनट के बाद में शांत हुआ और उस बीच मौसी तीन बार झड़ चुकी थी।
फिर मौसी ने कहा कि तू बड़ा ही जालिम है.. तो मैंने कहा कि सॉरी मौसी और 10 मिनट के बाद में मौसी के बदन पर हाथ फिराने लगा और कहा कि मुझे आपकी गांड मारनी है। तो वो बोली कि क्या? नहीं तेरे लंड से मेरी चूत का बुरा हाल हो जाता है तो गांड तो फट ही जाएगी। तो मैंने कहा कि में धीरे धीरे से करूँगा.. तो वो मान गयी। फिर मैंने कहा कि में टॉयलेट जाकर आता हूँ तब तक तुम घोड़ी बन जाओ। तो वो कहने लगी कि ठीक है और जैसे ही में उठा अचानक लाईट चली गयी.. तो मैंने कहा कि बुरा हुआ। जब तक में टॉयलेट से वापस आया तो मौसी उल्टी लेटी थी.. में उनकी पीठ पर हाथ फिराने लगा और मैंने कहा कि डॉगी स्टाईल में झुक जाओ। तो वो अपने घुटनो के सहारे झुक गयी.. लेकिन अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था और मैंने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और गांड के छेद पर लंड को रखकर ज़ोर का झटका दिया.. लंड आधा अंदर घुस गया और वो अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. करने लगी.. लेकिन में नहीं रुका और एक ज़ोर का झटका दिया तो पूरा का पूरा लंड अंदर घुस गया और वो रोने लगी।
मैंने कहा कि प्लीज रोना बंद करो वरना माँ उठ जाएगी। तो मौसी कहने लगी कि अब और गांड मत मारो.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है चाहो तो तुम चूत को चोद लो। तो मैंने कहा कि ठीक है मौसी की गांड से थोड़ा खून भी आ रहा था। फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और मौसी की चूत के छेद पर रखा और धक्के देने लगा 2-3 धक्के में लंड पूरा घुस गया.. लेकिन मौसी को गांड मरवाने के कारण शायद बहुत दर्द हो रहा था। तो मैंने धीरे धीरे चोदना शुरू किया थोड़ी देर बाद वो मुझको ठीक लगी। तो मैंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी.. उनके मुहं से आवाज़ निकलने लगी.. आह्हह्ह और ऐसे ही मैंने मौसी को करीब 25 मिनट तक चोदा और फिर हम शांत हो गये। फिर मैंने एक बार फिर से मौसी की गांड भी मारी और दो तीन बार चूत भी